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आसमान बादलों से घिरा हुआ था,वह बादल हर जगह अपनी गति से इस प्रकार चल रहे थे मानो उन्हें अभी-अभी दफ्तर से छुट्टी मिली हो।पक्षी आसमान को चीरते हुए अपनी मंजिल की तरफ जा रहे थे। रीमा अपनी छत पर खड़ी आकाश के इस रूप को देख रही थी, उसको आकाश के बदलते रंग को जानना बहुत अच्छा लगता था। वह बादलों के अलग-अलग प्रकारों में कहानियां ढूंढती थी। उन कहानियों को वह अपने ख्वाबों में पिरों कर रात को अपनी मां को सुनाती थी। उसकी मां को उसकी कहानियां सुना बहुत अच्छा लगता था और वह हर लफ्ज़ इत्मीनान से सुनती थी। यह परम्परा बन चुका था। इसी दौरान शाम का वक्त था, आसमान का रंग कुछ पीला कुछ गुलाबी था, हर रोज की तरह पक्षी अभी इधर उधर जा रहे थे, मानो किसी अपने की तलाश में या किसी डर से भाग रहे हो। रीमा वही बैठ गई, उस दुनिया में खो गई। तभी अचानक उस एक आवाज सुनाई देती है। वह इधर-उधर देखती है तो उससे प्रतीत होता है कि वह उसके पड़ोस के घर से आ रही है। उसका घर बाकी घरों की दीवारों के साथ मिलकर बना हुआ था मानो कि ट्रेन के डिब्बों को एक रेखा में जोड़ दिया गया हो। वह अपनी छात टॉप कर अपने बगल वाले घर पर पहुंचती है जहां उसकी बचप...